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(एकाँकी) इच्छा या भिक्षा

पात्र:  आकाश - ऑफिस का पुराना कर्मचारी देवा - ऑफिस का चपरासी अंबर खेर - कंपनी/ऑफिस का मालिक अपने पुराने ऑफिस में घुसते ही, आकाश किसी सोच मे पड़ जाता है। उसको अपने इस ऑफिस में बिताए हुए दिन याद आने लगते हैं। तभी, देवा : अरे आकाश सर, नमस्ते.... इतने दिनो बाद! कैसे हैं आप? आकाश : बस मैं ठीक हूँ..अंबर सर हैं?   देवा (आकाश को रिसेपशन की कुरसियों की ओर इशारा करते हुए) : हाँ, अपने केबिन में हैं..आप बैठिए, मैं उनको बता कर आता हूँ। करीब दो मिनट बाद  देवा (वापस आकर आकाश को पानी का गिलास देते हुए) : जाइए, सर ने आप को अंदर बुलाया है।  केबिन के अंदर अंबर खेर ( कुटिलता से मुसकुराते हुए) : आकाश! मेरे दोस्त..मुझे उम्मीद थी कि तुम एक दिन ज़रूर आओगे।  आकाश (चेहरे पे मीठी सी मुस्कुराहट के साथ, अंबर के सामने की कुर्सी पर बैठते हुए) : पर...मुझे पूरा विश्वास था कि मैं एक दिन आपके पास ज़रूर जाऊंगा।  अंबर :  क्या मतलब?  आकाश ( अपना बैग से समान निकाल कर, अंबर की मेज़ पर रखते हुए) : मेरे पास आपकी कुछ चीज़ें थीं, ब...